इलेक्ट्रॉनिक दोष क्या है ?उदहारण सहित
- इस प्रकार के दोष में क्रिस्टल लैटिस के अन्तर या बढ़ इलेक्ट्रान बढ़ जाते है या इलेक्ट्रान बढ़ जाते है जब अल्प मात्रा में अन्य तत्व डोपिंग किया जाता है| इलेक्ट्रान में इसी परिवर्तन को इलेक्ट्रॉनिक दोष कहलाता है|
इलेक्ट्रॉनिक दोष दो प्रकार के होते है
- n-प्रकार अर्द्धचालक
- p-प्रकार अर्द्धचालक
n-प्रकार अर्द्धचालक
n- टाइप किसी शुद्ध अर्धचालक ( जैसे जर्मेनियम तथा सिलिकॉन ) में 5 संयोजकता वाला अपद्र्व (जैसे आर्सेनिक ,फास्फोरस तथा Sb ) को मिला दिया जाता है तो इस प्रकार के मिश्रित अर्धचालक को n टाइप अर्धचालक कहते है|n-प्रकार अर्धचालक में बहुसंख्यक ( बहुत ज्यादा ) आवेश वाहक मुक्त इलेक्ट्रोन होते है |तथा अल्प ( बहुत कम ) संख्यक आवेश वाहक कोटर है |
चित्र द्वारा स्प्ष्प की यहाँ सिलिकॉन Si में पांच संयोजकता वाला अपद्र्व पदार्थ फास्फोरस p को मिलाया गया है|
p-प्रकार अर्द्धचालक
जब किसी शुद्ध अर्धचालक (जैसे जर्मेनियम तथा सिलिकॉन ) में 3 संयोजकता वाला अपद्र्व ((जैसे एल्मुनियम ,बोरान तथा गेलेनियम ) को मिला दिया जाता है तो इस प्रकार के मिश्रित अर्धचालक को p टाइप अर्धचालक कहते है |P टाइप अर्धचालक में बहुसंख्यक ( बहुत ज्यादा ) आवेश वाहक मुक्त कोटर होते है |तथा अल्प (बहुत कम ) संख्यक आवेश वाहक इलेक्ट्रोन होते है |
चित्र द्वारा स्पस्ट है की यहा जर्मेनियम Ge में तीन संयोजकता वाला अपद्र्व पदार्थ बोरान B को मिलाया गया है|