खनिज अयस्क धातुमल ,फलस्क तथा धातु का निष्कर्षण कैसे करें || उधाहरण सहित समझें

खनिज (Mineral)

प्रकृति में बहुत से सारे पादर्थ  मुक्त तथा संयुक्त अवस्थाओं में पाये जाते है। संयुक्त अवस्था में पाये जाने वाले पदार्थो के साथ कुछ अशुद्धियां वर्तमान रहती है। ये अशुद्धियां मिट्टी बालू ,चुना-पथर, इत्यादी रूपो में उपस्थित रहते है। इसी प्रकार के संयुक्त पदार्थ को खनिज कहते है ये खनिज प्राय:कार्बोनेट, ऑक्साइड ,सल्फेट,सल्फाइड इत्यादी  रूपों मे उपस्थित रहते है।

अयस्क(Ores)

:-वैसे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण सुगमतापूर्वक एवम कम खर्च में होता है, उसे, अयस्क कहते है। जैसे – लोहा के बहुत सारे खनिज हेमेटाइट Fe2O3 ,मैग्नेटाइट (Fe3O4), Iron pyrite (FeS2) etc है। परन्तु इन सबो में हेमेटाइट द्वारा लोहा का निष्कर्षण आसानी से एवम् कम खर्च मे होता है उपरोक्त उदाहरणो केआधार पर हम कह सकते है कि ” सभी अयस्क खनिज होते है परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं हो सकते 

गौंग (Gangue or Matrix)

अयस्को के साथ बहुत उपस्तिथ रहता है। ये अशुद्धियां मिट्टी, बालू , चुना पत्थर इत्यादि रूपों मे उपस्थित रहते है। इसी प्रकार के पदार्थो को गैंग या Matrix कहा जाता है ।

जैसे – लोहा के अयस्क हेमेटाइट के साथ सिलिका तथा एलुमीनियम के अयस्क वॉक्साइट सीलिका गैंग के रूप मे उपस्थित रहता है।

फ्लक्स ( Flux )

अयस्क के साथ बहुत सारी अशुद्धिया अर्थात गैंग उपस्थित रहते है। अतः इन अशुद्धियो को हटाने के लिए अयस्क में बाहर से जो पदार्थ मिलाये जाते है, उसे फ्लक्स कहते है।    Ex- SiO2 , CaO …… etc . फ्लक्स का व्यवहार करते हैं।

जैसे → यदि किसी अयस्क के साथ चुना-पत्थर(CaCo3) गैंग के रूप में उपस्थित हो तब वाह SiO2 Flux  का व्यवहार करते हैं। यह SiO2 से Cao से प्रतिक्रिया करके Calciumsilicate करता है।

    Cao + Sio2 CaoSio3

                Flux             कैल्सियम सिलिकेट  

फ्लक्स  दो प्रकार के होते हैं।

आम्लीय  और क्षारीय फ्लक्स

यदि अयस्क के साथ अम्लीय गैस उपस्थित हो तब वाह क्षारीय फ्लक्स का व्यवहार किया जाता है तथा यदि छारिय गैंग उपस्थित हो तब वहाँ अम्लीय पलक्स का व्यवहार किया जाता है।

धातुमल(Slag) अयस्क में उपयोग अशुद्धियों अर्थात गैंग के साथ फ्लक्स प्रतिक्रिया करके जो द्रवीभूत पदार्थ बनाता है उसे धातुमल कहते है।यह धातुमल हल्का होने के कारण द्रवित धातु के ऊपर तैरते रहता है।

जैसे→ लोहा के अयस्क हेमाटाइट  के साथ चूना-पथर गैंग के रूप में उपस्थित रहता है। अत: इससे SiO2 फलक्स प्रतिक्रिया करके कैल्सियम सिलिकेट (CaSiO3) धातुमल का निर्माण करता है।

   CaCo3 CaO + Co

  Cao + Sio2 CaOSio3

                Flux             कैल्सियम सिलिकेट  

अयस्को का सान्दण (Concentration of Ores )

:-अयस्को के साथ बहुत सारी अशुद्धियों अर्थात गैंग उपस्थित रहते है। ये अशुद्धियों मिट्टी, बाबू चूना-पत्थर इत्यादि में उपस्थित रहते है। अतः इन अशुद्धियों को हटाने के लिए जो विधि अपनाई जाती है, उसे अयस्को का सांद्रण कहते है ।

अयस्को को सान्दित करने की प्रमुख विधिया निम्लिखित है।

1. गुरुत्व पृथ्करण विधि (Gravity separation method )

इस विधि द्वारा उन अयस्को का सन्दण किया जाता है, जिसमें अयस्क तथा गैंग के बीच धनत्वो का अंतर रहता है। इस धन में इस विधि में सर्वप्रथम अयस्क का महीन चूर्ण  कर लिया जाता है तथा इसमें जल के तेज धारा प्रवाहित कि जाती है ऐसा करने से उनकी अशुद्धियां जब के धारा के साथ वह जाती है जबकी अयस्क भारी होने के कारण पात्र की पेंदी में नीचे बैठ जाता है इस प्रकार अयस्क सान्दित हो जाता है।

2.चुम्बकीय सन्द्रण विधि( Magnetic Concentration method )

इस विधि द्वारा वैसे अयस्को का सन्दण किया जाता है जिसमें अयस्क या गैंग चुम्बक की ओर आकर्षित होते है। इस विधि में सर्वप्रथम अयस्क का महिनचूर्ण कर लिए जाते है। तथा इस चक्की (Roller) के ऊपर धीरे- धीरे करके गिराया जाता है यह Roller संतत क्रियाशील रहता है। ऐसा करने में चुम्पकीय अयस्क चुम्बक के पास जमा होने लगते है जबकि अशुद्धियां कुछ दूर पर जाकर गिरती है। इस प्रकार अयस्क सन्द्रण हो जाता है।

 3. फेन या झाग उत्प्लवन विधि (Froth – floatation process)

इस विधि द्वारा सफाइट अयस्क का सन्दण किया जाता है। इस विधि में सर्वप्रथम अयस्क का महीन चूर्ण कर लिया जाता है तथा इसे ही पानी से भरे एक ब्रीकर में घुला दिया जाता है। विकर में वायु प्रवेश के लिए एक पम्प डाल दिया जाता है तथा इसमें तारपीन तेल की कुछ बूंदें डाल दी जाती है।सारी प्रक्रियाएँ पूर्ण होने के पश्चात वीकर में पम्प द्वारा हवा प्रवाहित किया जाता है। ऐसा करने से अयस्क में झाग बनने लगता है तथा  सफाइट अयस्क हल्का होने के कारण झाग के साथ पर चला आता है जिसे समय पर अलग करते रहते है। झाग को सुखा लेने पर शुद्ध अयस्क का प्राप्त हो जाता है जबकि अशुद्धिया घोल में ही रह जाती है।

4.निक्षालन (leaching)

यह अयस्कों को सान्दित करने कि एक रासायनिक विधि है यदि अयस्क किसी विशिष्ठ घोलक मे घुलनसिल हो तथा अशुद्धिया अघुलनशील हो तो ऐसे अयस्को का सन्द्रण निक्षालन विधि द्वारा क्रिया जाता है। इस विधि में रासायनिक अभिक्रिया होती है। सर्वप्रथम अयस्त का महीन चूर्ण कर लिया है तथा इसे किसी विशिष्ट घोलक मे घुलाया जाता है। ऐसा करने से अयस्क इसमें घुल जाता है, जबकि अघुलनशील गैंग को छानकर अलग कर लाते है। इस प्रकार अयस्क सांद्रित हो जाता है

इस विधि द्वारा Al, Cu, Ag, Au …. etc  आयस्को का सान्द्रण किया जाता है।

धातु का निष्कर्षण का विधि ,खनिज,अयस्क,धातुमल ,फ्लक्स,FAQ

Q.अयस्कों का सांद्रण क्यों किया जाता है ? 

उत्तर :- अयस्कों से अशुद्धियां निकलने के लिए 

Q खनिज किस प्रकार पादर्थ है ?

उत्तर :- संयुक्त पादर्थ  है इसमें मिट्ठी ,चुना-पत्थर ,बालू इत्यादी मिला होता है 

Q अयस्क क्या  होता है ?

उत्तर :- आसानी और कम खर्च में  खनिज से धातु निकला जाता है जैसे :-लोहा का प्रमुख अयस्क हेमाटाइट, एल्युमीनियम का प्रमुख अयस्क बॉक्साइट 

Q   फेन या झाग उत्प्लवन विधि द्वारा  किस अयस्क को सांद्रित किया जाता है ?

उत्तर :-सल्फाइड अयस्क जैसे – CuFeS2 (कॉपर पाइराइट), Cu2S…….इत्यादि 

Q गुरुत्व पृथ्करण विधि दवरा किस अयस्क को सांद्रित किया जाता है ?

उत्तर :- इस विधि द्वारा अयस्क और अशुद्धियां के बिच घनत्व का अंतर होता है 

Q फ्लक्स कितने प्रकार के होते है ?

उत्तर :- फ्लक्स दो प्रकार के होते है अम्लीय और क्षारीय फ्लक्स

1 thought on “खनिज अयस्क धातुमल ,फलस्क तथा धातु का निष्कर्षण कैसे करें || उधाहरण सहित समझें”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top