बहुलीकरण क्या होता है?परिभाषा,सूत्र,वर्गीकरण ,प्रकार ,उदाहरण ,और उदाहरण सहित समझें

Hello  मेरे प्यारें साथिओं  स्वागत है आपका हमारी Targetbiharboard.in की वेबसाइट पर आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पॉलीमर (पॉलीमर ) क्या होता हैं? पॉलीमर  की परिभाषा क्या है? पॉलीमर  निकालने का सूत्र क्या होता है? इसके बारे में विस्तार के साथ बताएँगे तथा इसके साथ-साथ हम आपको पॉलीमर  का वर्गीकरण और इसके उदाहरण के बारे में बताएँगे। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक  है इस टॉपिक  से सम्बंधित प्रश्न कई बार परीक्षाओं में पूछे जा चुके हैं। इसलिए इस टॉपिक  से सम्बंधित समस्त जानकारी सभी स्टूडेंट को होना ही  चाहिए। ताकि छात्र/छात्रा परीक्षा में अच्छे अंक ला सके और परीक्षा को आत्मविश्वास के साथ दे सके।

पॉलीमर  विषयसूची

 स्त्रोत के आधार पर बहुलाको का वर्गीकरण

पिछले आर्टिकल में हमने आपको आदर्श और अनादर्श विलयन इसके गुण उपयोग व बनाने की विधि के बारे में विस्तार के साथ बताया। यह एक बहुत महत्वपूर्ण टॉपिक  है जिसके बारे में रसायन विज्ञान  के सभी छात्र/छात्रा  को पता होना चाहिए। यदि आपने अभी तक इस टॉपिक  को नहीं पढ़ा है तो आप हमारी हिंदी रसायन विज्ञान  की इस वेबसाइट से इस महत्वपूर्ण टॉपिक  को पढ़ सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको पॉलीमर  पॉलीमर  क्या होता है? पॉलीमर  की परिभाषा क्या होती है? तथा इसका सूत्र क्या होता है? इसके बारे में बताने वाले हैं इसके साथ साथ हम आपको इसके वर्गीकरण और उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं। पॉलीमर  से सम्बंधित जानकारी पाने के लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें ताकि पॉलीमर  या बहुलीकरण से सम्बंधित जानकारी आपको अच्छे से समझ आ सकें।

पॉलीमर  की परिभाषा (पॉलीमर  किसे कहते हैं?)

उच्च अणुभार वाले ऐसे  यौगिक जो अनेक छोटी छोटी इकाइयों की पुनरावृत्ति से बनते हैं, पॉलीमर कहलाते हैं तथा यह घटना बहुलीकरण या पॉलीमर कहलाती है। पॉलीमर (पॉलीमर ) एक ग्रीक भाषा का शब्द है। यह दो शब्दों से मिलकर बना होता है Poly का अर्थ होता है बहुत सरा शब्द इसमें है Meros इसका अर्थ होता है Part(भाग) इस प्रकार हम कह सकते हैं जब बहुत सारी इकाइयां आपस में मिलती हैं या जुड़ती हैं या उनकी पुनरावृत्ति होती है तो उनके जुड़ने से जो भी हमें बहुत बढ़ा अणु मिलता है उसका अनुभार भी बहुत अधिक होता है। उसे ही पॉलीमर  कहते हैं। इस बहुत बढ़े अणु के बनने की प्रक्रिया या घटना को पॉलीमर  या बहुलकीकरण(पॉलीमर) कहते हैं। पॉलिथीन, नायलोन 6, रबर तथा बैकेलाइट आदि पॉलीमर  के उदाहरण हैं। जिन छोटी छोटी इकाईयों की पुनरावृत्ति से पॉलीमर  का निर्माण होता है उन्हें एकलक इकाई या मोनोमर  कहते हैं।

पॉलीमर  का सूत्र

n CH2 = CH2 __Red hot tube___> -(CH2 – CH2)-  (पॉलीमर )

nCH2=CH-CH3____बहुलीकरण___> -[CH2 – CH CH3]-  (पॉलीमर )

जहाँ n = एकलक इकाइयों की संख्या या बहुलीकरण की मात्रा है।

जिन पॉलीमर  में n = 100 होता है उन्हें ओलिगोमेर  कहते हैं।

बहुलको का वर्गीकरण

ऊपर के लेख में आपने पॉलीमर  किसे कहते हैं इसके बारे में जाना। अब आप बहुलको के वर्गीकरण के बारे में विस्तार के साथ जानेंगे। बहुलकों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया जाता है। जो निम्नलिखित हैं।

  1. स्त्रोत के आधार पर
  2. संरचना के आधार पर
  3. बहुलीकरण के प्रकार के आधार पर
  4. आण्विक बलों के आधार पर
  1. स्त्रोत के आधार पर बहुलाको का वर्गीकरण

स्त्रोत के आधार पर बहुलकों को निम्न तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।

  • प्राकृतिक पॉलीमर
  • संश्लेषित पॉलीमर
  • सेमी-संश्लेषित पॉलीमर

प्राकृतिक पॉलीमर – ऐसे पॉलीमर  जो जंतु तथा पादपो में पाए जाते हैं प्राकृतिक पॉलीमर  कहलाते हैं।

उदाहरण- प्रोटीन, स्टार्च, प्राकृतिक रबर आदि।

संश्लेषित पॉलीमर – ऐसे पॉलीमर  जो मानव के द्वारा या लैब में संश्लेषित किये जाते हैं अर्थात बनाए जाते हैं संश्लेषित पॉलीमर  कहलाते हैं।

उदाहरण- प्लास्टिक, पॉलिथीन, नायलानबैकेलाइट , संश्लेषित रबर आदि।

सेमी-संश्लेषित पॉलीमर – ये प्राकृतिक बहुलकों में रासायनिक परिवर्तन करके बनाए जाते हैं। इसलिए इन्हें सेमी संश्लेषित पॉलीमर  कहते हैं।

उदाहरण- सेलुलोसएसिटेट तथा सेलुलोस नाइट्रेट, आदि।

संरचना के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण

संरचना के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण तीन प्रकार का होता है।

  • रेखीय पॉलीमर
  • शाखित श्रृंखला  पॉलीमर
  • नेटवर्क पॉलीमर  (तिर्यक आबंधित पॉलीमर )

रेखीय पॉलीमर – ऐसे पॉलीमर  जिनमें एकल इकाइयाँ आपस में मिलकर एक लम्बी और रेखीय श्रृंखला  बनाती हैं उन्हें रेखीय पॉलीमर  कहते हैं।

उदाहरण- उच्च घनत्व पॉलिथीन, पॉलिएस्टर तथा नायलोन आदि।

शाखित श्रृंखला  पॉलीमर – इनकी श्रृंखला ओं में शाखाएँ होती हैं जिसके कारण ये संकुलित नहीं हो पाती हैं। अतः इनके गलनांक, घनत्व तथा तनन सामर्थ्य निम्न होते हैं।

उदाहरण- निम्न घनत्व पॉलिथीन (Lower Density Polythene), starch तथा ग्लाइकोजन आदि।

नेटवर्क पॉलीमर  या तिर्यक आबंधित – इनकी पॉलीमर  श्रृंखला एँ आपस में सह्संयोजी बंध के द्वारा जुड़कर जालक का निर्माण करती हैं। अतः इनके गलनांक व तनन सामर्थ्य सबसे अधिक होता हैं।

उदाहरण- बैकेलाईट, मैलेमीन, formaldehyde resin इत्यादि|

संश्लेषण के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण

संश्लेषण के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण दो प्रकार से होता है।

  • योगात्मक या श्रृंखला  वृध्दि पॉलीमर
  • संघनन पॉलीमर

योगात्मक या श्रृंखला  वृध्दि पॉलीमर – जब द्विबंध या त्रिबंध वाले एकलक अणु आपस में जुड़ते हैं तो योगात्मक पॉलीमर  बनते हैं। इनके बनते समय कोई सरल अणु ..आदि नहीं निकलते हैं। जैसे HCl, H2O, NH3 

संघनन पॉलीमर – ऐसे पॉलीमर  जो दो या दो से अधिक क्रियात्मक समूह वाले एकलकों से मिलकर बनते हैं संघनन पॉलीमर  कहलाते हैं। क्योंकि इनके बनते समय सरल अणु जैसे H2O, HCl, NH3 आदि निकालते हैं।

जैसे:- नायलन , बैकेलाइट

आण्विक बलों के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण

आण्विक बलों के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण चार प्रकार का होता है।

  • प्रत्यास्थ पॉलीमर (Elastomer पॉलीमर )
  • रेशेदार पॉलीमर (Fibre पॉलीमर )
  • ताप्सुनम्य पॉलीमर (Thermosetting पॉलीमर )
  • ताप-दृढ़ पॉलीमर (Thermoplastic पॉलीमर )

प्रत्यास्थ पॉलीमर (Elastomer पॉलीमर ) इनकी श्रृंखला ओं के बीच दुर्बल अन्तर आण्विक बल कार्य करते हैं अतः इनमें  इलास्टोमेर का गुण उत्पन्न हो जाता है। परन्तु ये गुण इनमे बहुत कम होता है। इलास्टोमेर पॉलीमर  आक्रिस्टलीय होते हैं।

रेशेदार पॉलीमर (Fibre पॉलीमर ) इनके बीच लगने वाला अंतर आण्विक आकर्षण बल, हाइड्रोजन बंध या द्विध्रुव – द्विध्रुव होता है। इनके रेशे बनाए जाते हैं।

उदाहरण- नायलोन-6 , डेक्रोंन आदि।

ताप्सुनम्य पॉलीमर – ये पॉलीमर  गर्म करने पर मुलायम हो जाते हैं। तथा ठंडा करने पर पुनः कठोर हो जाते हैं।

उदाहरण- पॉलिथीन, पोलिस्टाइरीन, PVC आदि।

ताप-दृढ़ पॉलीमर – यह गरम करने पर कठोर, अज्वलनशील, अगलनीय तथा अघुलनशील पदार्थ में बदल जाते हैं। इसलिए इन्हें ताप-दृढ़ पॉलीमर  कहते हैं।

उदाहरण- बैकेलाईट, Urea formaldehyde, मैलेमीन आदि।

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